एक ऐसे समय में जब पूरा यूरोप और अमेरिका भीषण गर्मी की चपेट में है. हीटवेव हर दिन नए रिकार्ड बना रही है. जंगलों में लगी आग लगातार फ़ैल और विकराल हो रही है. दुनिया के अनेक देश खासकर अफ्रीका में सूखे का सामना कर रहे हैं, वहीँ एशिया और आस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है. इस सबसे हर दिन साफ़ होता जा रहा है कि दुनिया क्लाइमेट इमरजेंसी के बीच “सामूहिक आत्महत्या” की ओर बढ़ रही है.
इसके बावजूद ग्लोबल वार्मिंग से निपटने और क्लाइमेट चेंज पर बड़ी और ठोस कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ गाल क्यों बजाया जा रहा है, यह समझने के लिए आपको तेल और गैस कंपनियों की वैश्विक और घरेलू आर्थिक और राजनीतिक
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